Hindi paheliyan uttar sahit- 150+हिन्दी पहेलियाँ उत्तर सहित

 Hindi paheliyan uttar sahit- 150+हिन्दी पहेलियाँ उत्तर सहित

Hindi paheliyan uttar sahit



Hindi paheliyan uttar sahit के इस बेस्ट पहेली collection में आपका स्वागत है दोस्तों, अगर आप अपने Facebook या Whatsapp के लिये पहेली खोज रहे हैं तो यह पोस्ट ख़ास आपके लिये है, हम यहाँ पर "Best 150+हिन्दी पहेलियाँ उत्तर सहित" का बेहतरीन कलेक्शन हिंदी में इमेजेस के साथ साझा कर रहे हैं, जिसे आप अपने दोस्तो या फिर किसी रिश्तेदार से पूछ कर उनकी परीक्षा ले सकते हैं। 

इससे पहले के हमारे "Hindi paheliyan uttar sahit" की कलेक्शन को शुरू करें उससे पहले ये देख लेते हैं की पहेलियाँ क्या होती है। 

किसी व्यक्ति की बुद्धि या समझ की परीक्षा लेने वाले एक प्रकार के प्रश्न, वाक्य अथवा वर्णन को पहेली (Puzzle) कहते हैं जिसमें किसी वस्तु का लक्षण या गुण घुमा फिराकर भ्रमक रूप में प्रस्तुत किया गया हो और उसे बूझने अथवा उस विशेष वस्तु का ना बताने का प्रस्ताव किया गया हो। इसे "बुझौवल" भी कहा जाता है। 

पहेली व्यक्ति के चतुरता को चुनौती देने वाले प्रश्न होते है। जिस तरह से गणित के महत्व को नकारा नहीं जा सकता, उसी तरह से पहेलियों को भी नज़रअन्दाज नहीं किया जा सकता। पहेलियां आदि काल से व्यक्तित्व का हिस्सा रहीं हैं और रहेंगी। वे न केवल मनोरंजन करती हैं पर दिमाग को चुस्त एवं तरो-ताजा भी रखती हैं।

तो चलिये आज की अपनी "Hindi paheliyan uttar sahit" के कलेक्शन को शुरु करते हैं। 

150+हिन्दी पहेलियाँ उत्तर सहित





Hindi paheliyan uttar sahit


एक चीज ऐसी कहलाएँ,
हर कोई मजबूरी में खाये।
पर कैसी मजबूरी हाए,
खाकर भी भूखा रह जाए ।
--कसम




पंख हैं, पर नहीं मैं पक्षी,
क्योंकि न मैं देती अंडे।
चल सकु पर जानवर नहीं,
जानो नहीं तो पड़ेंगे डंडे।
--चमगादर🦇




ऐसी कौन सी फसल है,
जिसे काटते तो है मगर बोते नहीं?
--बाल




वह क्या है जिसे आप रोजाना,
कई बार उठाते हो और रखते भी हो?
--हमारे पैर🦶




एक बालक देखा ऐसा,
जिसने स्कूल कभी न देखा।
वह जब हिसाब देता,
वह हाजिर जवाब होता है।
--कल्क्युलेटर 🖩




लाल रंग की पोशाक देख,
लोग मुझसे घबराए।
हरे रंग की पोशाक देख,
लोग बड़े प्यार से खाये।।
--हरी मिर्च




छोटा-सा धागा,
सारी बात ले भागा |
--टेलीफ़ोन ☎️




दो अक्षर का मेरा नाम,
एक चीज ऐसी कहलाए ।
हर मजहब का आदमी खाए।
--कसम






जंगल में मायका,गाँव में ससुराल,
गाँव आई दुल्हन, उठ चला बवाल ।
--झाडू






आदि आते तो आदमी बने,
अंत कटे तो वीर,
मध्य कटे तो दिन रहा,
नाम बताओ उनका यार ।
--वानर




मैं कहीं भाग नहीं सकती हूं,
मगर फिर भी लोग मुझे,
बांधकर रखते हैं बताइए मैं कौन हूं?
--घड़ी ⌚




ऐसा क्या है ?
जिसे हम छू नहीं सकते
पर देख सकते हैं।
--स्वप्न




बिना हाथों के बिना पैरों के और,
बिना तेरे में किसी के भी घर,
चला जाता हूं बताओ मैं कौन हूं ?
--खत ✉️




जो तुझमे है वह उसमे नहीं,
जो झंडे मे है वह अंडे मे नहीं |
--झ




ऐसा क्या है ?
जो खराब हो जाए तो
हम काम नहीं केआर सकते।
--हमारा मूड




वह कौन सा अंधेरा है,
जो रौशनी से बनता है।
--परछाई



Hindi paheliyan uttar sahit


बोल नहीं पाती हूँ मैं,
और सुन नहीं पाती ।
बिन आँखों के हूँ अंधी,
पर सबको राह दिखाती।
--पुस्तक 📚






पास में उड़ता-उड़ता आए,
छन भर देखूँ फिर छिप जाए।
बिन आग के जलता जाए,
सबके मन को वह लुभाए।।
--जुगनू




कमर पतली है, पैर सुहाने,
कहीं गए होंगे बीन बजाने।
--मच्छर 🦟




एक झाड़ी में तीस डाली,
आधी सफ़ेद,आधी काली।
--माह के दिन व रात




चाँद सा मुखड़ा, तन चमकीला,
सभी को भाता फिर भी,
जल्दी न आता।
--रुपया ₹




वह क्या है? जो होता छोटा,
पर खलता बड़ा।
--दहीबड़ा




काली हूँ मैं गहरा पेट,
मेज पर जाती हूँ लेट।
लोग मारते मूँह पर भाले,
लिखते अक्षर काले-काले।
--दावात





Hindi paheliyan uttar sahit


मैं छोटा सा फकीर,
मेरे पेट में हैं लकीर।
--गेंहू 🌾




एक लड़का माली का
कुर्ता पहने जाली का
अंदर से यह काम करें
पत्थर को सलाम करें।
--नारियल 🥥






एक थाल मोती से भरा
सबके सिर पर उल्टा-धारा
आए आँधी पानी आए
मोती लेकिन न गिर पाएँ ।
--तारे ⭐




एक घर में कई छुछुंदर
सबके मुँह काला।
एक छुछुंदर निकल भागे
जग भये उजाला।।
--माचिस




एक अजगर की अजब कहानी
काला लंबी गाथा।
घर-घर उगले ठंडा पानी
कोई समझ न पाता।।
--पाइप




तीन अक्षर का मेरा नाम,
थके हुए को मैं दूँ आराम,
बीच कटे तो पग बन जाऊँ,
सबके मन को मैं भाऊँ।
--पलंग 🛏




घोड़ा हूँ मैं घोड़ा हूँ,
काले बन में रहता हूँ,
लाल पानी पिता हूँ,
सब मुझसे है परेशान।
--जुएँ




एक लाठी की अजब कहानी,
उसके अंदर मीठा पानी,
लाठी में हैं गाँठे दस,
जो भी चाहे पी ले रस।
--गन्ना




chhoti chhoti paheliyan


पक्षी एक देखा अलबेला,
पंख बिना उड़ रहा अकेला।
बांध गले मे लंबी डोर,
नाप रहा अंबर का चोर।
--पतंग 🪁






नीला जहर भरा है जिसमे,
जीभ है जिसकी दो।
सांप नहीं पर लंबा है,
झट से उत्तर दो।।
--फाउंटेनपेन 🖊




ले दातों की बड़ी कतार,
सिर पर नाचे काठ कहार,
उसके बिना न रहती नारी,
एक अचम्भा है भारी।
--कंघी




एक पहेली मैं बुझाऊँ।
सिर को काट नमक छिड़काऊँ।।
--खीरा




एक बहादुर ऐसा वीर,
गाना गाकर मारे तीर।
--मच्छर




काला घोड़ा, गोरी सवारी,
एक के बाद, एक की बारी।
--रोटी




राजा रानी सुनो कहानी
एक घड़े मे दो रंग का पानी।
--अंडा




टेक लकड़ी चलता, तोड़ा नमक कानून।
एकमात्र सवार था, मुझपर आजादी का जुनून।।
--महात्मा गाँधी




तन मे और मन में,
बसे सब के कण-कण में,
हर मुसीबत मे याद करके,
हर क्षण-क्षण में।
--ईश्वर




ऊपर से केसर नीचे सब्जा,
बीच रंग सफेदा,
बीच में चक्का गोल है,
शोभे सुंदर ज्यादा।
--तिरंगा झण्डा






सब दिन एक-दो, एक दिन हजार,
चम-चम चमके, गाँव बाजार।
--दिया





एक पेड़ के बारह डाली,

हर डाली मे तीस पात।

पंद्रह काला पंद्रह उजला,
सब मानों मेरी बात।।
--साल महीना दिन




एक ऐसी चीज का नाम बताइए,
जिसे आप आधा खा लेते हैं,
तब भी वह पूरी ही रहती है?
--पूरी




वह क्या है जिसे सभी लोग,
रात में करना ज्यादा पसंद करते हैं?
--सोना




वह क्या है जो हमारे ना,
चाहते हुए भी आ जाता है?
--मृत्यु




काला पहाड़ उजली नदी,
पानी मीठा होय।
राजा रंक भिखारी प्रिय,
साधु संत सब कोय।।
--भैस का दूध




घर बसे एक प्यारा दुश्मन,
क्षण मे मारे जान।
पवन प्रकाश आवाज दे,
बोलो उसका नाम।।
--बिजली




एक मुट्ठी राय, गेल छितिराय।
गिनते-गिनते, बटरो नहीं पाय।।
--तारा




एक फल हजार बाती,
जो न समझे गदहा के नाती।
--केला




हरी थी मन भरी थी,
लाल मोती जड़ी थी।
राजा जी के खेत में,
दोशाला ओढ़े खड़ी थी।।
--भुट्टा




हाथ पैर लकड़ी पेट गढ़ा,
जो न समझे उसका बाप गधा।
--नाथ




खेत है मिट्टी नहीं, नदी है पानी नहीं।
--तस्वीर






तीन अक्षर का मेरा नाम,
उल्टा सीधा एक समान।
--जहाज




दो अक्षर का मेरा नाम,
उल्टा सीधा एक समान।
--चाचा




चार शब्द का वाक्य बनाना।
उल्टा सीधा एक समान।।
--दो केला लाके दो
ऊपर गोल-गोल,
पर्दा नीचे फाँक।
--नारंगी




एक नगर मे गाछ गछौल,
एक नगर में कुआँ।
एक नगर मे आग लगी थी,
एक नगर में धुआँ।।
--हुक्का




छोटी चिड़िया फुलकए जाय,
सौसे दुनिया लुटल जाय।
--आग



150+हिन्दी पहेलियाँ उत्तर सहित


मारे तो मरे नहीं, बिन मारे मर जाए,
हाय तमाचा शिर करे, मुर्दा आटा खाय।
--ढोलक




दो माँ, दो बेटी, रोटी पकाय तीन,
एक-एक रोटी सब खाएगी, कैसे दोगे गिन।
--माँ, बेटी, नतनी






जब चली हम बारी कुंआरी,
तब पहिरली दोबर साड़ी,
जब भेला हम जोगन जोग,
सड़िया खोल-खोल देखे लोग।
--मकई के बाल




थोड़ा जाय तो इस्स बोले,
आधा जाए तो हाए रे बाप।
पूरा जाए तो हँस कर गोरी,
बोले मीठी-मीठी बात।।
--चूड़ी





एक ही तीन शब्द का वाक्य बनाओ।
--गया गया गया




लाल घड़ी मैदान खड़ी,
साया साड़ी हरी हरी।
--मिरचाई




हजार पैर का जानवर ऐसा,
ठोकर दो बन जाए पैसा।।
--खोपा,जुड़ा




वह क्या है जो कभी आता नहीं,
और उसके भरोसे जो रहता है,
वह जरूर पछताता है?
--कल






लिख लोढ़ा पढ़ पत्थर,
कहलावे पंडित।
--कुम्हार




बड़ी न छोटी, जवाहर की बेटी।
--इन्दिरा गांधी




ऐसा कौन सा फूल है,
जिसमें ना ही रंग है ना ही खुशबू?
--अप्रैल फूल




Hindi paheliyan uttar sahit




फुले ना फले, टोकर भरी टूटी।
--धान




वह क्या है जो लगाते समय हरी होती है,
और निकलते समय लाल हो जाती है?
--मेहंदी




बाप रहल पेट में,पूत गेल गया।
--आग और धुआँ



150+Hindi paheliyan uttar sahit


सूखा में लड़बर, पानी में दौड़कर।
--नाव




ऐस कौन मिले समान, देश भर में एक दाम।
--डाक टिकट




बाबन बैल, नब्बे खूटा, बैल बाँधो खूँटे-खूँटा।
--बौना बैल नया खूँटा






काला जंगल,बीच पगडंडी।
--माँग




छोटा सा बंदर बड़ा सा पुंछ।
--सुई-धागा




दूर-दूर से मिलते देखा,
लेकिन था नज़रों का धोखा।
--क्षितीज




बड़ी कोमल, बड़ी सुकुमार,
बीच फटल दोनों बगल बाल।
--आँख




मुट्ठी से ऊँट, कोठी में नाथ।
--छाता




कन का छाड़ी जनम जहरी,
तेकरा पिन्हना लाल घंघरी।
--मिरचाई




जवानी में एक भरकी,
बूढ़ारी में तीन भुरकी।
--छिंगा




टपक टाइयाँ रोइयाँ नाय,
चार तंगरी नाय।
--मेढक




दिन में एक नहीं, रात हजार,
रात भर चमके काला बाज़ार।
--तारा




हजार लाख में रहे अंधेरा,
मात्र एक में ही उजाला।
--चाँद




जितना काटो बढ़ती जाय,
तुममें कोई नाम बताय।
--गढ़ा




चलनी में चान चून, बद्री में रेखा।
हाय रे प्राण तुझे, कभी न देखा।।
--इंद्रधनुष
चार अंगुल पेड़, सवा मन पत्ता।
फले बारी-बारी, पके एक बार।।
--कुम्हार का चाक






कटोरे-पे- कटोरा,
बेटा बाप से भी गोरा ।
--नारियल




एक हाथ का प्राणी अचल,
हाथ हिलाओ निकले जल ।
--हैंडपंप




एक दुकानदार ऐसा,
जो दाम भी लेता, माल भी लेता।
--नाई




खाते है इसको सब,
लेकिन स्वाद कोई न बता सका ।
लोग खिलते भी है लेकिन,
कोई उसे न चख सका ।
--कसम




अजब सुनी इक बात,
नीचे फल और ऊपर पात।
--अनानास




ब्रह्मा का पिता,चन्दा का साला,
कीचड़ में खिला उसको पाला ।
--कमल




काले बन की रानी है,
लाल-पानी पीती है |
--खटमल




तीन अक्षर का नाम बताये|
शुरू के दो अति हो जाये,
अंतिम दो से तीथी बताये||
--अतिथि




बीमार नहीं रहती, फिर भी खाती है गोली|
बच्चे, बूढ़े डर जाते, सुन इसकी बोली ||
--बंदूक




एक पहेली मैं बुझाउ,
सिर को काट नमक छिर्काऊँ ||
--खीरा




खाते नहीं चबाते लोग,
काठ मे करवा रस संयोग |
दाँत जीभ की करे सफाई,
बोलो बात समझ मे आई ||
--दातून




चार ड्राईवर एक सवारी |
उसके पीछे जनता भारी ||
--मुर्दा




मैं मरूँ मैं कटूँ |
तुम्हें क्यों आँसू आए |
--प्याज




ऊंट की बैठक, हिरण की चाल,
बोलो वह कौन है पहलवान |
--मेढक






काला मूंह लाल शरीर,
कागज को वह खाता |
रोज शाम को पेट फारकर
कोई उन्हे ले जाता ||
--लेटरबॉक्स




हरी डंडी, लाल कमान,
तौबा-तौबा करें इंसान |
--मिर्ची




कल बनता धर के बिना,
माल बनता सिरहीन|
थोड़ा हूँ पैर कटे तो,
अक्षर केवल तीन ||
-कमल




तीन अक्षर का मेरा नाम,
उल्टा सीधा एक समान|
--जहाज




पानी से निकलता दरखत एक,
पात नहीं पर दाल अनेक |
एक दरख्त की ठंडी छाया,
नीचे एक बैठ नही पाया ||
--फुहारा




हमने देखा अजब एक बंदा ,
सूरज के सामने रेहता ठंडा |
धूप मे ज़रा नही घबराता,
सूरज की तरफ मूँह लटक जाता ||
--सूरजमुखी




100 मजेदार पहेलियाँ उत्तर सहित

परत-परत पर जमा हुआ है,
इस एज्ञान ही जान|
बस्ता खोलोगे तो इसको,
जाओगे तूम पहचान ||
--किताब




काला हण्डा, उजला भात, ले लो भाई हाथों-हाथ |
--सिंघारा






हाथी,घोड़ा ऊंट नहीं, खाए न दाना, घास|
सदा ही धरती पर चले, होए न कभी उदास ||
--साइकिल




मैं हरी,मेरे बच्चे काले,
मुझको छोरमेरे बच्चे खाले |
--इलाईची




चार हैं रानियाँ और एक हैं राजा,
और एक काम मे उनका अपना साझा |
--अंगूठा और अंगुलियाँ




तीन अक्षरो का मेरा नाम,
आदि कटे तो चार |
कैसे हो तुम मैं जानूँ,
बोलो तुम सोच विचार ||
--अचार




एक फूल है काले रंग का,
सिर पर सदा सुहाए |
तेज धूप मे खिल-खिल जाता,
पर छाया मे मुरछाए ||
--छाता




सापों से भरी एक पिटारी,
सब के मूंह मे दो चिंगारी |
जोड़ो हाथ तो निकल गहर से,
फिर घर पर सिर दे फटके ||
--माचिस




हाथ-पैर सब-जुदा, ऐसी सूरत दे खुदा |
जब वह सूरत बन ठन आवे , हाथ धरे तो रोग सुनावे ||
--हुक्का






अन्त कटे कौआ बन जाए,
प्रथम कटे तो कार्य बने,
तीन अक्षर का उसका नाम ||
--कागज




ऐसा शब्द लिखिये जिससे,
फूल, मिठाई, फल बन जाये |
--गुलाब जामुन




Hindi paheliyan uttar sahit


एक छोटा सा बंदर,
जो उछले पानी के अंदर |
--मेढक




थल मे पकड़े पैर तुम्हारे,
जल मे पकड़े हाथ |
मुर्दा होकर भी रहता है ,
जिंदों के हाथ ||
--जूता




बच्चे भी कहते है मामा,
बूढ़े भी कहते है मामा |
दीदी भी कहती है मामा,
बोलो कौन से मामा |
--चंदा मामा




तीन पैर की तीतली, नहा-धोकर निकली |
--समोसा




ऊंट की बैठक हिरण की चाल |
वह कौन सा जानवर,
जिसके दुम न पाल ||
--मेढक




न काशी, न बाबाधाम, बीन जिसके हो चक्का जाम |
पानी जैसी चीज़ है वह झट से बताओ उसका नाम ||
--पेट्रोल




आवाज हैं, इंसान नहीं, जवान है निशान नहीं||
--औडीयो कैसेट






खुशबू है गुलाब नहीं,
रंगीन है लेकिन शराब नहीं |
सुगंध है कोई प्रेम पत्र नहीं,
ये जहर है, लेकिन गुलाब नहीं||
--इत्र




शुरू कटे तो नमक बने,
मध्य कटे तो कान |
अन्त कटे तो काना बन,
जो न जाने उसका बाप शैतान ||
--कानून




हरी डिब्बी, पीला मकान |
उसमे बैठे कल्लू राम ||
--पपीता और बीज




खड़ी करो तो गिर पड़े, दौड़ी मिलों जाए |
नाम बता दो इसका, यह तुम्हें हमे बिठाए ||
--साइकल




बिल्ली की पुंछ रहे हाथ मे,
बिल्ली रहे इलाहबाद में |
--पतंग




नया खजाना घर मे आया,
डब्बे मे संसार समाया |
नया करिश्मा बेजोड़ी का,
नाम बताओ इस योगी का ||
--टेलिविजन




छोटा-सा धागा, सारी बात ले भागा |
--टेलीफ़ोन




एक महल बसी कोठरी सब है फाटकदार |
खोले तो दरवाजा मिले न राजा, पहरेदार||
--प्याज




तीन अक्षर का मेरा नाम,
प्रथम कटे तो शस्त्र बनूँ |
मध्य कटे तो बनूँ मैं आन
बोलो क्या है मेरा नाम ||
--आँगन




एक घोड़ा ऐसा जिसकी छ: टांग दो सूम |
और तमाशा ऐसा देखा पीठ के ऊपर दूम ||
--तराजू




बेशक न हो हातह मे हाथ,
बिता है वह आपके साथ |
--परछाई




एक पहेली सदा नवेली जो भूझे सो जिंदा,
जिंदा मे से मुर्दा निकले, मुर्दा मे से जिंदा |
--अंडा




जो तुझमे है वह उसमे नहीं,
जो झंडे मे है वह अंडे मे नहीं |
--झ




आगे से गाँठ गठीला,पीछे से वो टेढ़ा |
हातह लगाए कहर खुदा का, बुझ पहेली मेरा |
--बिच्छू




कमर बांध कोने मे पड़ी |
बड़ी सबेरे अब है खड़ी ||
--झाडू






हाल पनि का देखकर बहुत ताज्जूब आए|
ड्राख्त मे डूबा भरा,डालिया प्यासी जाये ||
--ओस




काटते है, पिसते है, बाँटते है, पर खाते नहीं ||
--तास्पत्ति




चार है चिड़ियाँ, चार अहि रंग |
चारो के बदरंग, चारो जब बैठे साथ,
लगे एक ही रंग ||
--पान




छूने मे शीतल, सूरत मे लुभानी,
रात मे मोती और दिन मे पानी
--ओस




तीन अक्षर का उसका नाम,
आता है जो खाने काम |
अन्त कटे तो हल बन जाये,
मध्य कटे तो हवा बाण जाये ||
--हलवा




हरी टोपी, लाल दुशाला | पेट मे है मोती की माला ||
--लाल मिर्च








एक नारी ऐसी है, रंग जिसका मैला है,
लगी रहती अहि वह पिया के संग,
रोशनी मे संग विराजती, अंधकार मे भाग जाती ||
--परछाई




नहीं चाहिए इंजन मुझको, नहीं चाहिए खाना |
मुझ पर चढ़कर आसपास का,
करलों सफर सुहाना || --साइकिल




मजेदार पहेलियाँ उत्तर सहित


बीच ताल में थोड़ा पानी |
उसमे नीचे लाल भवानी ||
--पूड़ी




आदि कटे तो हद हो जाये,
अन्त कटे तो राह है,
तीन अक्षरी बसी माधुरी,
कण-कण मे संचित है ||
--शब्द,




बिना तेल के चलता है,
पैर बिना वो चलता है,
उजियारे को बिखेर कर,
अँधियारे को दूर करता है||
--सूरज




हाथ मे हरा, मूँह मे लाल |
क्या सीएचआरआरज़ेड है
बताओ प्यारे लाल |
--कोयला




बरसात मे याद दिलाये |
पानी धूप मे काम आए ||
--छाता




एक महल के दो रखवाले,
दोनों लंबे दोनों काले ,
ठाकुरों की शान है वह,
मुरदो की जान है वह||
--मूँह




लाल घोड़ा अड़ा रहे,
काला घोड़ा भागता जाये |
--आग-धुआं




दिखने मे मैं बाँस सरीखा,
नहीं मैं कडुवा नहीं मैं तीखा,
स्वाद मधुर,स्पर्श रसीला,
गर्मियों तक चले मेरा सिलसिला||
--गन्ना




धूप देख मैं आ जाऊँ,
छाओ देख शरमा जाऊँ|
जब हवा करे स्पर्श मुझे,
मैं उसमे समा जाऊँ||
--पसीना




शंकर जी का हूँ मैं पर्याय,
सब को मेरा रंग रूप सुभाय|
मैं हूँ नभ पर खग काया,
कोई है जो मेरा नाम बताय||
--नीलकण्ठ




लंबी पुंछ पीठ पर रेखा,
दोनों हाथो खाते देखा|
--गिलहरी



आशा करता हूँ की आपको हमारी सभी "Hindi paheliyan uttar sahit" पसंद आई होंगी और आपका हामरे इस पोस्ट "Hindi paheliyan uttar sahit" से मनोरंजन के साथ-साथ दिमाग की कसरत भी हुई होगी। यदि आपको हमारी ये "150+हिन्दी पहेलियाँ उत्तर सहित" पसंद आई होंगी तो अपने दोस्तो के साथ share करना मत भूलिएगा। 
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