Hindi paheliyan uttar sahit- 150+हिन्दी पहेलियाँ उत्तर सहित
इससे पहले के हमारे "Hindi paheliyan uttar sahit" की कलेक्शन को शुरू करें उससे पहले ये देख लेते हैं की पहेलियाँ क्या होती है।
किसी व्यक्ति की बुद्धि या समझ की परीक्षा लेने वाले एक प्रकार के प्रश्न, वाक्य अथवा वर्णन को पहेली (Puzzle) कहते हैं जिसमें किसी वस्तु का लक्षण या गुण घुमा फिराकर भ्रमक रूप में प्रस्तुत किया गया हो और उसे बूझने अथवा उस विशेष वस्तु का ना बताने का प्रस्ताव किया गया हो। इसे "बुझौवल" भी कहा जाता है।
पहेली व्यक्ति के चतुरता को चुनौती देने वाले प्रश्न होते है। जिस तरह से गणित के महत्व को नकारा नहीं जा सकता, उसी तरह से पहेलियों को भी नज़रअन्दाज नहीं किया जा सकता। पहेलियां आदि काल से व्यक्तित्व का हिस्सा रहीं हैं और रहेंगी। वे न केवल मनोरंजन करती हैं पर दिमाग को चुस्त एवं तरो-ताजा भी रखती हैं।
तो चलिये आज की अपनी "Hindi paheliyan uttar sahit" के कलेक्शन को शुरु करते हैं।
150+हिन्दी पहेलियाँ उत्तर सहित
हर कोई मजबूरी में खाये।
पर कैसी मजबूरी हाए,
खाकर भी भूखा रह जाए ।
--कसम
क्योंकि न मैं देती अंडे।
चल सकु पर जानवर नहीं,
जानो नहीं तो पड़ेंगे डंडे।
--चमगादर🦇
जिसे काटते तो है मगर बोते नहीं?
--बाल
कई बार उठाते हो और रखते भी हो?
--हमारे पैर🦶
जिसने स्कूल कभी न देखा।
वह जब हिसाब देता,
वह हाजिर जवाब होता है।
--कल्क्युलेटर 🖩
लोग मुझसे घबराए।
हरे रंग की पोशाक देख,
लोग बड़े प्यार से खाये।।
--हरी मिर्च
सारी बात ले भागा |
--टेलीफ़ोन ☎️
एक चीज ऐसी कहलाए ।
हर मजहब का आदमी खाए।
--कसम
गाँव आई दुल्हन, उठ चला बवाल ।
--झाडू
अंत कटे तो वीर,
मध्य कटे तो दिन रहा,
नाम बताओ उनका यार ।
--वानर
मगर फिर भी लोग मुझे,
बांधकर रखते हैं बताइए मैं कौन हूं?
--घड़ी ⌚
जिसे हम छू नहीं सकते
पर देख सकते हैं।
--स्वप्न
बिना तेरे में किसी के भी घर,
चला जाता हूं बताओ मैं कौन हूं ?
--खत ✉️
जो झंडे मे है वह अंडे मे नहीं |
--झ
जो खराब हो जाए तो
हम काम नहीं केआर सकते।
--हमारा मूड
जो रौशनी से बनता है।
--परछाई
Hindi paheliyan uttar sahit
बिन आँखों के हूँ अंधी,
पर सबको राह दिखाती।
--पुस्तक 📚
छन भर देखूँ फिर छिप जाए।
बिन आग के जलता जाए,
सबके मन को वह लुभाए।।
--जुगनू
कहीं गए होंगे बीन बजाने।
--मच्छर 🦟
आधी सफ़ेद,आधी काली।
--माह के दिन व रात
सभी को भाता फिर भी,
जल्दी न आता।
--रुपया ₹
पर खलता बड़ा।
--दहीबड़ा
मेज पर जाती हूँ लेट।
लोग मारते मूँह पर भाले,
लिखते अक्षर काले-काले।
--दावात
मेरे पेट में हैं लकीर।
--गेंहू 🌾
कुर्ता पहने जाली का
अंदर से यह काम करें
पत्थर को सलाम करें।
--नारियल 🥥
सबके सिर पर उल्टा-धारा
आए आँधी पानी आए
मोती लेकिन न गिर पाएँ ।
--तारे ⭐
सबके मुँह काला।
एक छुछुंदर निकल भागे
जग भये उजाला।।
--माचिस
काला लंबी गाथा।
घर-घर उगले ठंडा पानी
कोई समझ न पाता।।
--पाइप
थके हुए को मैं दूँ आराम,
बीच कटे तो पग बन जाऊँ,
सबके मन को मैं भाऊँ।
--पलंग 🛏
काले बन में रहता हूँ,
लाल पानी पिता हूँ,
सब मुझसे है परेशान।
--जुएँ
उसके अंदर मीठा पानी,
लाठी में हैं गाँठे दस,
जो भी चाहे पी ले रस।
--गन्ना
chhoti chhoti paheliyan
पंख बिना उड़ रहा अकेला।
बांध गले मे लंबी डोर,
नाप रहा अंबर का चोर।
--पतंग 🪁
जीभ है जिसकी दो।
सांप नहीं पर लंबा है,
झट से उत्तर दो।।
--फाउंटेनपेन 🖊
सिर पर नाचे काठ कहार,
उसके बिना न रहती नारी,
एक अचम्भा है भारी।
--कंघी
सिर को काट नमक छिड़काऊँ।।
--खीरा
गाना गाकर मारे तीर।
--मच्छर
एक के बाद, एक की बारी।
--रोटी
एक घड़े मे दो रंग का पानी।
--अंडा
एकमात्र सवार था, मुझपर आजादी का जुनून।।
--महात्मा गाँधी
बसे सब के कण-कण में,
हर मुसीबत मे याद करके,
हर क्षण-क्षण में।
--ईश्वर
बीच रंग सफेदा,
बीच में चक्का गोल है,
शोभे सुंदर ज्यादा।
--तिरंगा झण्डा
चम-चम चमके, गाँव बाजार।
--दिया
एक पेड़ के बारह डाली,
हर डाली मे तीस पात।
सब मानों मेरी बात।।
--साल महीना दिन
जिसे आप आधा खा लेते हैं,
तब भी वह पूरी ही रहती है?
--पूरी
रात में करना ज्यादा पसंद करते हैं?
--सोना
चाहते हुए भी आ जाता है?
--मृत्यु
पानी मीठा होय।
राजा रंक भिखारी प्रिय,
साधु संत सब कोय।।
--भैस का दूध
क्षण मे मारे जान।
पवन प्रकाश आवाज दे,
बोलो उसका नाम।।
--बिजली
गिनते-गिनते, बटरो नहीं पाय।।
--तारा
जो न समझे गदहा के नाती।
--केला
लाल मोती जड़ी थी।
राजा जी के खेत में,
दोशाला ओढ़े खड़ी थी।।
--भुट्टा
जो न समझे उसका बाप गधा।
--नाथ
--तस्वीर
उल्टा सीधा एक समान।
--जहाज
उल्टा सीधा एक समान।
--चाचा
उल्टा सीधा एक समान।।
--दो केला लाके दो
ऊपर गोल-गोल,
पर्दा नीचे फाँक।
--नारंगी
एक नगर में कुआँ।
एक नगर मे आग लगी थी,
एक नगर में धुआँ।।
--हुक्का
सौसे दुनिया लुटल जाय।
--आग
150+हिन्दी पहेलियाँ उत्तर सहित
--ढोलक
एक-एक रोटी सब खाएगी, कैसे दोगे गिन।
--माँ, बेटी, नतनी
तब पहिरली दोबर साड़ी,
जब भेला हम जोगन जोग,
सड़िया खोल-खोल देखे लोग।
--मकई के बाल
आधा जाए तो हाए रे बाप।
पूरा जाए तो हँस कर गोरी,
बोले मीठी-मीठी बात।।
--चूड़ी
--गया गया गया
साया साड़ी हरी हरी।
--मिरचाई
ठोकर दो बन जाए पैसा।।
--खोपा,जुड़ा
और उसके भरोसे जो रहता है,
वह जरूर पछताता है?
--कल
कहलावे पंडित।
--कुम्हार
--इन्दिरा गांधी
जिसमें ना ही रंग है ना ही खुशबू?
--अप्रैल फूल
--धान
और निकलते समय लाल हो जाती है?
--मेहंदी
--आग और धुआँ
150+Hindi paheliyan uttar sahit
--डाक टिकट
--बौना बैल नया खूँटा
--माँग
--सुई-धागा
लेकिन था नज़रों का धोखा।
--क्षितीज
बीच फटल दोनों बगल बाल।
--आँख
--छाता
तेकरा पिन्हना लाल घंघरी।
--मिरचाई
बूढ़ारी में तीन भुरकी।
--छिंगा
चार तंगरी नाय।
--मेढक
रात भर चमके काला बाज़ार।
--तारा
मात्र एक में ही उजाला।
--चाँद
तुममें कोई नाम बताय।
--गढ़ा
हाय रे प्राण तुझे, कभी न देखा।।
--इंद्रधनुष
चार अंगुल पेड़, सवा मन पत्ता।
फले बारी-बारी, पके एक बार।।
--कुम्हार का चाक
बेटा बाप से भी गोरा ।
--नारियल
हाथ हिलाओ निकले जल ।
--हैंडपंप
जो दाम भी लेता, माल भी लेता।
--नाई
लेकिन स्वाद कोई न बता सका ।
लोग खिलते भी है लेकिन,
कोई उसे न चख सका ।
--कसम
नीचे फल और ऊपर पात।
--अनानास
कीचड़ में खिला उसको पाला ।
--कमल
लाल-पानी पीती है |
--खटमल
शुरू के दो अति हो जाये,
अंतिम दो से तीथी बताये||
--अतिथि
बच्चे, बूढ़े डर जाते, सुन इसकी बोली ||
--बंदूक
सिर को काट नमक छिर्काऊँ ||
--खीरा
काठ मे करवा रस संयोग |
दाँत जीभ की करे सफाई,
बोलो बात समझ मे आई ||
--दातून
उसके पीछे जनता भारी ||
--मुर्दा
तुम्हें क्यों आँसू आए |
--प्याज
बोलो वह कौन है पहलवान |
--मेढक
कागज को वह खाता |
रोज शाम को पेट फारकर
कोई उन्हे ले जाता ||
--लेटरबॉक्स
तौबा-तौबा करें इंसान |
--मिर्ची
माल बनता सिरहीन|
थोड़ा हूँ पैर कटे तो,
अक्षर केवल तीन ||
-कमल
उल्टा सीधा एक समान|
--जहाज
पात नहीं पर दाल अनेक |
एक दरख्त की ठंडी छाया,
नीचे एक बैठ नही पाया ||
--फुहारा
सूरज के सामने रेहता ठंडा |
धूप मे ज़रा नही घबराता,
सूरज की तरफ मूँह लटक जाता ||
--सूरजमुखी
100 मजेदार पहेलियाँ उत्तर सहित
इस एज्ञान ही जान|
बस्ता खोलोगे तो इसको,
जाओगे तूम पहचान ||
--किताब
--सिंघारा
सदा ही धरती पर चले, होए न कभी उदास ||
--साइकिल
मुझको छोरमेरे बच्चे खाले |
--इलाईची
और एक काम मे उनका अपना साझा |
--अंगूठा और अंगुलियाँ
आदि कटे तो चार |
कैसे हो तुम मैं जानूँ,
बोलो तुम सोच विचार ||
--अचार
सिर पर सदा सुहाए |
तेज धूप मे खिल-खिल जाता,
पर छाया मे मुरछाए ||
--छाता
सब के मूंह मे दो चिंगारी |
जोड़ो हाथ तो निकल गहर से,
फिर घर पर सिर दे फटके ||
--माचिस
जब वह सूरत बन ठन आवे , हाथ धरे तो रोग सुनावे ||
--हुक्का
प्रथम कटे तो कार्य बने,
तीन अक्षर का उसका नाम ||
--कागज
फूल, मिठाई, फल बन जाये |
--गुलाब जामुन
जो उछले पानी के अंदर |
--मेढक
जल मे पकड़े हाथ |
मुर्दा होकर भी रहता है ,
जिंदों के हाथ ||
--जूता
बूढ़े भी कहते है मामा |
दीदी भी कहती है मामा,
बोलो कौन से मामा |
--चंदा मामा
--समोसा
वह कौन सा जानवर,
जिसके दुम न पाल ||
--मेढक
पानी जैसी चीज़ है वह झट से बताओ उसका नाम ||
--पेट्रोल
--औडीयो कैसेट
रंगीन है लेकिन शराब नहीं |
सुगंध है कोई प्रेम पत्र नहीं,
ये जहर है, लेकिन गुलाब नहीं||
--इत्र
मध्य कटे तो कान |
अन्त कटे तो काना बन,
जो न जाने उसका बाप शैतान ||
--कानून
उसमे बैठे कल्लू राम ||
--पपीता और बीज
नाम बता दो इसका, यह तुम्हें हमे बिठाए ||
--साइकल
बिल्ली रहे इलाहबाद में |
--पतंग
डब्बे मे संसार समाया |
नया करिश्मा बेजोड़ी का,
नाम बताओ इस योगी का ||
--टेलिविजन
--टेलीफ़ोन
खोले तो दरवाजा मिले न राजा, पहरेदार||
--प्याज
प्रथम कटे तो शस्त्र बनूँ |
मध्य कटे तो बनूँ मैं आन
बोलो क्या है मेरा नाम ||
--आँगन
और तमाशा ऐसा देखा पीठ के ऊपर दूम ||
--तराजू
बिता है वह आपके साथ |
--परछाई
जिंदा मे से मुर्दा निकले, मुर्दा मे से जिंदा |
--अंडा
जो झंडे मे है वह अंडे मे नहीं |
--झ
हातह लगाए कहर खुदा का, बुझ पहेली मेरा |
--बिच्छू
बड़ी सबेरे अब है खड़ी ||
--झाडू
ड्राख्त मे डूबा भरा,डालिया प्यासी जाये ||
--ओस
--तास्पत्ति
चारो के बदरंग, चारो जब बैठे साथ,
लगे एक ही रंग ||
--पान
रात मे मोती और दिन मे पानी
--ओस
आता है जो खाने काम |
अन्त कटे तो हल बन जाये,
मध्य कटे तो हवा बाण जाये ||
--हलवा
--लाल मिर्च
लगी रहती अहि वह पिया के संग,
रोशनी मे संग विराजती, अंधकार मे भाग जाती ||
--परछाई
मुझ पर चढ़कर आसपास का,
करलों सफर सुहाना || --साइकिल
मजेदार पहेलियाँ उत्तर सहित
उसमे नीचे लाल भवानी ||
--पूड़ी
अन्त कटे तो राह है,
तीन अक्षरी बसी माधुरी,
कण-कण मे संचित है ||
--शब्द,
पैर बिना वो चलता है,
उजियारे को बिखेर कर,
अँधियारे को दूर करता है||
--सूरज
क्या सीएचआरआरज़ेड है
बताओ प्यारे लाल |
--कोयला
पानी धूप मे काम आए ||
--छाता
दोनों लंबे दोनों काले ,
ठाकुरों की शान है वह,
मुरदो की जान है वह||
--मूँह
काला घोड़ा भागता जाये |
--आग-धुआं
नहीं मैं कडुवा नहीं मैं तीखा,
स्वाद मधुर,स्पर्श रसीला,
गर्मियों तक चले मेरा सिलसिला||
--गन्ना
छाओ देख शरमा जाऊँ|
जब हवा करे स्पर्श मुझे,
मैं उसमे समा जाऊँ||
--पसीना
सब को मेरा रंग रूप सुभाय|
मैं हूँ नभ पर खग काया,
कोई है जो मेरा नाम बताय||
--नीलकण्ठ
दोनों हाथो खाते देखा|
--गिलहरी